“पिछले कई दिनों से मेरी बेटी पीठ के बल सो भी नहीं पा रही है / उसकी दर्द भरी आवाज़ों से रातों का सन्नाटा तक टूट जाता है / उसे सुलाने के लिए प्रशांत और मैं 5-6 तकिए उसकी छाती के नीचे लगाते हैं ताकि उसे वापस नींद आ सके लेकिन फिर भी वो आराम से सो नहीं पाती तो हम उसे अपनी गोद में ले लेते हैं /उसकी छाती का दर्द उसे रोज़ थोड़ा -थोड़ा मार रहा था और हम समझ भी नहीं पा रहे थे कि ऐसा क्यों हो रहा है /हम उम्मीद कर रहे थे कि यह कम हो जाएगा लेकिन यह इतना बढ़ जाएगा कि बिना ट्रांसप्लांट के मेरी बच्ची मर जाएगी ये हमने कभी सोचा भी नहीं था ” मीता, टिस्टा की माँ /
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उसकी हालत के बारे में लंबे समय तक पता नहीं चल पाया, जिससे उसकी स्थिति और खराब हो गई
13 साल की टिस्टा ने पिछली जुलाई को अपने माता -पिता से छाती और पेट में बहुत तेज़ दर्द की शिकायत की थी| तो उन्होंने उसे एसिडिटी समझकर ,उसके के लिए दवाइयाँ दे दी थीं| लेकिन इन दवाइयों का कुछ असर नहीं हुआ | तब उन्होंने कुछ स्कैन कराए तो पता चला कि टिस्टा कि छाती में पानी भरा हुआ है | ये सोचकर कि दवाइयों से उसकी परेशानी ठीक हो जाएगी डॉक्टरों ने उसे एंटीबायोटिक्स दे दीं| टिस्टा के माता-पिता को पता ही नहीं था कि उनकी एकलौती बेटी किस बीमारी से जूझ रही है| बीमारी के कारण का देर से पता चलना उसे अंदर ही अंदर मार रहा था |
"मैं बहुत डर गई थी जब एंटीबायोटिक्स का भी उस पर कोई असर नहीं हुआ / तब डॉक्टरों को भी शक हुआ और उन्होंने उसके पेट का स्कैन किया / उसके बाद एक पूरा महीना हम डर डर के रिपोर्ट का इंतजार करते रहे थे। मेरी बच्ची दर्द से मर रही थी। हमें आख़िरकार पता चला कि उसकी दोनों किडनी खराब हो चुके हैं। उसके पास बहुत कम समय है ये सुन कर मैं सुन्न हो गई थी /"
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टिस्टा को जिंदा रखने के लिए डायलिसिस भी अब काफी नहीं है
टिस्टा, अब एक साल से डायलिसिस पर है। उसे हर 4 घंटे में डायलिसिस की ज़रुरत होती है जिसके बिना उसका शरीर किसी भी समय काम करना बंद कर सकता है। लेकिन ये भी अब उसे जिंदा रखने के लिए काफी नहीं है। उसे अगले 10 दिनों में तुरंत किडनी ट्रांसप्लांट की ज़रुरत है नहीं तो वह मर जाएगी।
“जब डॉक्टरों ने मुझे बताया कि मैं अपनी बेटी को अपनी किडनी दे सकती हूँ ,तो मुझे राहत मिली कि मैं उसकी जान बचा सकती हूँ । टिस्टा के जन्म के बाद, मैंने कोई बड़ी सर्जरी नहीं कराई थी / लेकिन मैं अपनी बेटी के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ । मैं उसके बिना ज़िंदा नहीं रह सकती हूँ /”
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टिस्टा को इतना तेज़ दर्द होता है कि वो खाना भी नहीं खा पाती है
टिस्टा की बीमारी ने उससे उसका बचपन छीन लिया है। कभी-कभी वह इतने दर्द में होती है कि वह 20-25 दिनों तक मुश्किल से ही कुछ खा पाती है। मीता को उसे जबरदस्ती खिलाना पड़ता है ताकि वह बेहोश ना हो। वह रात भर रोती है और मीता कुछ भी कर के उसे सुला नहीं पाते हैं |
"हमें टिस्टा को बार बार डॉक्टर के पास ले जाना पड़ता है ,जिसके लिए हमें ट्रेन लेनी होती है / खचाखच भरी ट्रेन में एक बीमार बच्चे को ले जाना बहुत मुश्किल होता है लेकिन हमारे पास कोई और चारा भी नहीं है / हम उसे बस या एक निजी कार में ले जाने का खर्चा तक नहीं उठा सकते हैं /जब भी हम डॉक्टर के पास जाते हैं तो वह थक जाती है और बीमार पड़ जाती है।मैं चाहती हूँ कि जल्दी ही ये सब खत्म हो जाए और मेरा पूरा परिवार फिर से एक आम जिंदगी जी सके /इस बीमारी ने हम सब की ज़िन्दगी को झकझोर कर रख दिया है / "
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ना कोई बचत है और व्यापार में भी भारी नुकसान हो रहा है इसके बावज़ूद , प्रशांत अपनी बेटी को बचाने के लिए दिन रात जूझ रहा है
पश्चिम बंगाल में प्रशांत का एक छोटा सा मोटरसाइकिल गेराज है। वह एक महीने में मुश्किल से 5000 रुपये कमा पाता है| अपने कर्मचारियों के वेतन और घरेलू खर्चों को उठाने के बाद उसके पास कुछ नहीं बचता है | इसके अलावा, जब से टिस्टा बीमार पड़ी है वह मुश्किल से ही अपनी दुकान में जा पा रहा है, जिससे उसके व्यापार में भारी नुकसान हो रहा है। टिस्टा के लगातार डायलिसिस और दवाओं के कारण उसने अपना सब कुछ खो दिया है|
"हम अब तक लगभग 5 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं। हर महीने टिस्टा के इलाज पर लगभग 30,000 रुपये खर्च हो जाते हैं / इतनी कम आमदनी के साथ, इतना भारी खर्चा करना लगभग असंभव है / हमारे रिश्तेदारों ने हमारी बहुत मदद की है, लेकिन अब उनके पास भी पैसे ख़तम हो रहे हैं / ये सब जान कर भी मुझे किसी भी कीमत पर अपनी बेटी को बचाना है ।लेकिन अगर हमें कहीं से भी मदद नहीं मिलती है , तो हम अपनी बेटी को खो देंगे /"
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आप कैसे मदद कर सकते हैं
13 साल की टिस्टा के किडनी खराब हो गए हैं और 10 दिनों के भीतर उसको किडनी ट्रांसप्लांट की ज़रूरत है। उसकी माँ उसे अपनी किडनी दे रही है। केवल पैसों की कमी के कारण उसका ईलाज रुका हुआ है | टिस्टा की ज़िन्दगी बचाने के लिए 9 लाख रुपये की ज़रुरत है और उसके माता-पिता के पास एक भी ऐसा सहारा नहीं जो इस मुश्किल घड़ी में उनकी मदद कर सके, वो अपना सब कुछ लगा चुके हैं|
आपका समर्थन इन माता-पिता को अपनी एकमात्र बेटी को बचाने में मदद कर सकता है |
Supporting Document
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