NICU के बाहर बैठे हुए पूजा बस यही सोच रही है कि पिछले कुछ दिनों में उसके साथ जो हुआ है वह सपना है की सच! उसका छोटा बच्चा शीशे के बक्से में कैद है। उस नन्ही जान को सांस तक लेने में तकलीफ़ हो रही है। डॉक्टरों ने पूजा को यह बोल दिया है कि उसके बच्चे को और कुछ हफ़्ते हॉस्पिटल में ही रहना है। इन्फेक्शन का डर इतना है कि वह अपने बेटे को दूध पिलाना तो दूर, गोदी में भी नहीं ले सकती है।




पूजा और मोहन के बच्चे के आगे पूरी ज़िन्दगी पड़ी हुई है। लेकिन अगर समय पे उसका इलाज़ नहीं हो पाया तो यह लाचार माँ बाप आपने बेटे को खो देंगे। दिन ब दिन उसकी तबियत बिगड़ती जा रही है - आपकी एक छोटी सी मदद इस नन्ही जान को बचा सकती है ।

इस मामले के विनिर्देश संबंधित अस्पताल में मेडिकल टीम द्वारा सत्यापित किए गए हैं। उपचार या संबंधित लागत पर किसी भी स्पष्टीकरण के लिए, अभियान आयोजक या चिकित्सा टीम से संपर्क करें।

"उन्होंने बोला है कि अगर इसके पहले हम बाबू को घर लेके जायेंगे तो शायद ...शायद वह नहीं बचेगा। आप खुद सोचिये, एक माँ को अगर कोई यह बोलता है तोह उसके ऊपर क्या गुज़रती होगा। लेकिन कैसे इंतज़ाम करेंगे हम इतने पैसों का - यही सोच मुझे खाये जा रही है! मेरा पति गांव में है, वह भी बहुत कोशिश कर रहा है। लेकिन इतना खर्चा उठाना हम लोगों के बस की बात नहीं है। मैं सोच भी नहीं सकती क्या होगा अगर हम पैसों का इंतज़ाम नहीं कर पाए," - पूजा, माँ.

मैं सोच भी नहीं सकती वह कितने तकलीफ़ में है...
पूजा और मोहन का बेटा समय से पहले पैदा हो गया था, इसीलिए उसके फेफड़े अभी तक पूरी तरह विकसित नहीं हुए है। मशीनों के बगैर वह सांस तक नहीं ले सकता है। उसका वज़न भी बोहत कम हैं। उसकी हालत इतनी नाज़ुक है की उसे हॉस्पिटल के बहार लेके जाना हानिकारक हो सकता है।"उसको देखके मैं अपने आप को रोक नहीं सकती - मेरे आँखों में आँसू भर आते है। इतना नन्हा है वह, और इतने तकलीफ में है। मैं उसकी माँ हो कर भी कुछ नहीं कर पा रही हूँ। उसके शरीर मे हड्डिया ही दिखती है, पता नहीं क्यों भगवान ने हमें इस मोड़ पे लाके खड़ा किया है..."

अपने बच्चे को बचाने के लिए मोहन ने अपनी जी-जान लड़ा दी है - लेकिन वह एक मामूली मज़दूर है, उसके भी हाथ पैर बंधे है...
मोहन राजस्थान के एक छोटे गांव में मज़दूरी करता है। जब उसको काम मिलता है, वह 200 से 250 रुपए कमाता है। उसके परिवार में वह अकेला कमाने वाला है - इतने से पैसों में कैसे भी गुज़ारा कर लेते है । लेकिन इसी बीच पूजा की डिलीवरी हो गई, और अभी उनका बच्चा ज़िन्दगी और मौत के बीच जूझ रहा है।
"अब आप लोगों से क्या छुपाना, हम लोग बहुत गरीब है। हम इतना कमाते ही कहाँ है कि कुछ बचा सके। अभी डॉक्टर ने बोला है कि हमें 4 लाख चाहिए, बाबू को बांचने के लिए। इतने पैसे कहाँ से आएंगे? मैंने तो ज़िन्दगी में कभी उतना पैसा एक साथ देखा भी नहीं है। इधर मेरी रातों की नींद उड़ गयी है तो उधर मोहन परेशान है। मैं करूँ भी तो क्या करूँ - अभी सिर्फ आप ही कुछ कर सकते है मेरे बेटे को बचने के लिए।
पूजा और मोहन के बच्चे के आगे पूरी ज़िन्दगी पड़ी हुई है। लेकिन अगर समय पे उसका इलाज़ नहीं हो पाया तो यह लाचार माँ बाप आपने बेटे को खो देंगे। दिन ब दिन उसकी तबियत बिगड़ती जा रही है - आपकी एक छोटी सी मदद इस नन्ही जान को बचा सकती है ।
सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट

इस मामले के विनिर्देश संबंधित अस्पताल में मेडिकल टीम द्वारा सत्यापित किए गए हैं। उपचार या संबंधित लागत पर किसी भी स्पष्टीकरण के लिए, अभियान आयोजक या चिकित्सा टीम से संपर्क करें।