कोरोना के शिकार हुए पत्रकारों के परिवार की मदद करें।
कोरोना काल में सैकड़ों पत्रकारों को अपनी जान कोरोना की वजह से गवानी पड़ी उसमे से कुछ पत्रकारों के परिवार की मदद सरकार ने किया तो कुछ पत्रकारों के परिवार की मदद उनके संस्थान किया लेकिन आज भी बहुत से पत्रकारों के परिवार दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर है उनके पास न थो खाने का ठिकाना है और न ही अपने पच्चों की परवरिश करने का कोई सहारा हमारी टीम को परकारों पर स्टोरी कवर करने के दौरान इस चौकाने वाले सच पता चला हमारी टीम से जो भी मदद होनी थी वो हमने किया लेकिन बिहार , मध्य प्रदेश , दिल्ली , उत्तर प्रदेश , राजस्थान , छतीशगढ , में बहुत से ऐसे पत्रकारों के परिवार है जो दर दर की ठोकरें खा रहे है , एक गॉव का छोटा पत्रकार हमारे गॉव की या आसपास की छोटी छोटी बातों को लोगों तक पहुंचाने का काम करता है लोगों जागरूक करता है लेकिन सोचिये उसी का परिवार दर दर की ठोकरें का रहा हो तो क्या हमारी ये ज़िम्मेदारी नहीं है की हम उस के परिवार की थोड़ी सी मदद कर सकें ? इस मदद से हम उनके खोये हुए को वापस तो नहीं ला सकते लेकिन इस थोड़ी सी मदद से उनके परिवार के चेहरों पर मुस्कान तो ला सकते है न ? आप निवेदन है की आप मानवता नाते इन परिवारों की मदद के लिए थोड़ा सा हाथ बढ़ाई आप की एक छोटी सी सहायता से दर्द में डूबे परिवार के चेहरे पर मुस्कान आ सकती है। कृपया डोनेट करें