“यथार्थ को सुपरहीरो मूवीज बहुत पसंद है। पिछली बार जब वह हॉस्पिटल में था कभी कभी वह मूवीज जाने का ज़िद्द करता था। मैं तब उसको समझती थी की वह ठीक हो जाएगा तो उसे उसकी पसंदीदा मूवी के लिए लेके जाउंगी. लेकिन अफ़सोस, वह दिन आने के पहले ही यथार्थ को फिर से हॉस्पिटल लेके जाना पढ़ा। मेरा बेटा बस ५-साल का है और इतनी सी उम्र में उसे इतना कुछ सहना पढ़ रहा है। पता नहीं कब वह पूरी तरह से ठीक होके घर आ पायेगा,” - नीलम, यथार्थ की माँ।

नन्हा यथार्थ रोज़ अपनी माँ से पूछता रहता है कि कब वह घर जा सकता है
यथार्थ को एक्यूट ल्य्म्फोब्लास्टिक ल्यूकीमिया है। यह एक प्रकार का ब्लड कैंसर है जिसमे इंसान का शरीर अधिक मात्रा में सफ़ेद रक्त कोशिका उत्पादन करता है। इस बीमारी के वजह से वह बहुत थका हुआ रहता है। ज़्यादा तर समय वह अपने बिस्तर से उठ भी नहीं सकता है किसी के सहायता के बगैर और उसके पुरे शरीर में असहनीय दर्द रहता है। कभी कभी उसका पेट दर्द इतना बढ़ जाता है की वह तकिये को पकड़ के रोने लग जाता है।“यथार्थ हमारा इकलौता बच्चा है और उसको ऐसे तड़पता हुया देख के अपने आप को मैं रोक नहीं पाती हूँ। उसकी माँ हूँ मैं लेकिन फिर भी ऐसा कुछ नहीं कर सकती हूँ जिससे उसकी तख़लीफ़ थोड़ा सा भी दूर हो सकें। रोज़ वह मुझे यह ही पूछता है कि वह कब अपने घर जा सकता है, फिर से अपने दोस्तों के साथ खेल सकता है - उसे देने के लिए मेरे पास कोई जवाब नहीं होता है। मेरी ईश्वर से यह ही प्रार्थना रहती है की किसी भी माँ - बाप को ऐसे दिन न देखने पढ़े,” - नीलम।

यथार्थ बस ठीक ही होने लगा था की कैंसर ने फिर से उसको अपने चंगुल में ले लिया
पिछले देढ़ साल से यथार्थ कैंसर जैसे भयाबह बीमारी से जूझ रहा है। दवाइयां और कीमोथेरेपी से वह थोड़ा बेहतर हो रहा था। पुनीत और नीलम के मन भी आशा की ज्योत जली थी। लेकिन किस्मत कुछ और ही खेल खेलना चाहता था यथार्थ के साथ।“यथार्थ का तबियत ठीक होने लगा था। हम दोनों को लगा की शायद हमारी खोयी हुई खुशियां वापस आने वाली है। लेकिन उसके रिलैप्स की खबर हमारी सारी आशयों पे पानी फेर दिया। समझ नहीं आता है यथार्थ को क्या कहके फुसलायुं। उसके पुरे शरीर में दाने आये हुए है - रात रात भर जग क वह उनको खुजलाता रहता है और वहां से खून निकलता रेहता है। दर्द क कारण वह सो भी नहीं पता है, कभी कभी तो वह किसी को अपने शरीर में हाथ भी नहीं लगाने देता है। हम पूरी रात उसके साथ जगते है और बहुत कोशिश करते उसे शांत करने की लेकिन कुछ भी नहीं कर पाते है,” - पुनीत, यथार्थ का पिता।

सिर्फ एक बोन मेरो ट्रांसप्लांट ही बचा सकता है यथार्थ को, लेकिन उसके माता-पिता को नहीं पता कहाँ से आएगा पैसा
पुनीत का छोटा सा दवाई खाना है जिससे उनका गुज़ारा हो जाता था। लेकिन यथार्थ के इलाज़ के लिए उनका अभी तक बहुत खर्चा हो चूका है।
“जब से हम को पता चला है की यथार्थ को कैंसर है, तब से हम सिर्फ इसी चीज़ के बारे में सोचते है कि कैसे उसको जल्दी ठीक कर सकते है। मेरे बेटे को बहार खेलना बहुत पसंद है, लेकिन वह इस बीमारी के वजह से बिस्तर छोड़ के उठ भी नहीं पाया है। अभी तक मेरा १० लाख खर्चा हो गया है और डॉक्टर ने बोला है की यथार्थ को ठीक होने के लिए जल्द से जल्द एक बोन मेरो ट्रांसप्लांट कि ज़रुरत है - जिसके लिए हमें और ४० लाख चाहिए। मेरे रिश्तेदारों और दोस्तों ने बहुत सहायता किया है अभी तक, उनसे और सहायता की उम्मीद रखना मुझे नाजायज़ लगता है। मेरी रात की नींद उड़ गयी है यह सोचके कि शायद किसी के सहायता के बगैर मैं पैसों का इंतज़ाम नहीं कर पाउँगा और हम अपने बेटे को खो बैठेंगे ,” - पुनीत।

आप कैसे मदद कर सकते है
५- साल का यथार्थ अभी ब्लड कैंसर के लपेट में तड़प रहा है - सिर्फ एक ट्रांसप्लांट ही बचा सकता है उसको। परन्तु उसके परिवार के लिए इतने पैसों का जुगाड़ करना बहुत मुश्किल है। आप की सहायता यथार्थ को नयी ज़िन्दगी दे सकती है और नीलम और पुनीत को उनका बेटा।आप की सहायता बचा सकती है नन्हे यथार्थ की ज़िन्दगी