"जब तीसरी बार कैंसर ने उसे जकड़ा , तब मेरी पत्नी नीतू ने मुझसे कहा 'मैं अब और नहीं सह पाऊँगी। बेहतर होगा कि तुम डॉक्टरों को बोलो कि मुझे दवा देकर मार दे / मेरे शरीर में और दर्द झेलने की ताकत नहीं बची है , अब बस और नहीं’/ इस दुर्लभ कैंसर ने उसके गुर्दे ख़राब कर दिए हैं, यहाँ तक कि डायलिसिस के लिए जो मूत्र कैथेटर उसको लगा रखा है वो भी संक्रमित हो गया है। मुझे नहीं पता कि वह और कब तक इसके साथ लड़ पाएगी, "अमित, नीतू के पति।
नीतू बेबस होकर रोती रहती है क्योंकि वह अपने 7 साल के जुड़वाँ बच्चों के साथ नहीं रह सकती है
नीतू के जुड़वाँ बच्चे, ऋषव और मानवी ने अपनी माँ को महीनों से नहीं देखा है।क्योंकि वह अस्पताल में भर्ती है, और हर बार जब भी नीतू वीडियो कॉल पर अपने बच्चों को देखती है तो ज़ोर ज़ोर से चीखने लगती है| नीतू और अमित जहाँ रहते हैं, अस्पताल वहाँ से 40 किमी दूर है। उसका शरीर अब बिलकुल भी तनाव झेलने की हालत में नहीं है| वह 2 महीनों से अपने घर भी नहीं गई है| यहाँ तक कि अब तो उसके बच्चों ने भी यह मान लिया है कि उनकी माँ बीमार है और वह उनके साथ नहीं रह सकती है |
"शुरू में जब उसे बहुत तेज़ पेट दर्द हुआ करता था , हमें लगता था ये मेरी पत्नी के ओवेरियन सिस्ट की वजह से होता होगा / दिसंबर 2015 में, उसके सिस्ट ऑपरेशन से ठीक पहले, डॉक्टरों ने हमें बताया कि उसके प्लेटलेट्स 11,000 तक गिर गए हैं (सामान्य t1.5-4.5 लाख के बीच में होते हैं )। इसका मतलब था कि अगर ऑपरेशन के दौरान कुछ भी गड़बड़ हुई तो खून बहने की वजह से उसकी मौत तक भी हो सकती थी / मैं उसके लिए तैयार नहीं था / लेकिन टेस्ट्स के बाद जो सामने आया , उससे मेरे पैरों के तले ज़मीन खिसक गई / "
लेकिन बार बार उभरती बीमारी ने नीतू को कमजोर कर दिया था और उसके गुर्दें भी ख़राब हो चुके थे
इस युवा माँ को एक बहुत ही दुर्लभ किस्म का कैंसर हुआ है जिसे मल्टिपल मायलोमा कैंसर कहा जाता है, यह एक प्रकार का रक्त कैंसर होता है जिसमें एक प्रकार की सफेद रक्त कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ जाती हैं। इसके कारण कई अंग ख़राब हो सकते हैं और तुरंत मौत भी हो सकती है। नीतू के गुर्दे पहले से ही ख़राब हो चुके हैं और बाकी के अंग भी किसी भी समय ख़राब हो सकते हैं।
"डॉक्टरों ने हमें बताया था कि यह सामान्यत: 55 साल से ज़्यादा उम्र वाले लोगों को होता है। मैं अभी भी नहीं समझ पा रहा, फिर नीतू के साथ ही ये क्यों हो रहा है / 2016 में लगभग 5 महीनों की लगातार कीमोथेरेपी के बाद, नीतू ठीक लग रही थी। हम उसका बोन मेरो ट्रांसप्लांट नहीं करा पाए क्योंकि नीतू इतनी कमजोर हो गयी थी कि उसकी जान भी जा सकती थी और मैं उसे खोना नहीं चाहता था। उसे अतिरिक्त देखभाल में रखने के बाद भी, कैंसर ने छह महीने बाद फिर से उसके शरीर को जकड़ लिया । इस बार हम उसे बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए तैयार कर रहे थे / लेकिन जब तक मैं उसके ट्रांसप्लांट के लिए पैसों का इंतज़ाम कर पाता, कैंसर फिर से लौट आया / "
कैंसर ने इस माँ को अपने बीमार बेटे से दूर कर दिया है
जो बात नीतू को और भी दुखी कर देती है वो यह है कि वह अपने जुड़वाँ बच्चों को बढ़ता हुआ नहीं देख पा रही है और उनके साथ रह नहीं पा रही है | उसके बेटे ऋषव के दिल में ब्लॉकेज हैं। उसे जल्द ही एक सर्जरी करवानी पड़ सकती है| नीतू को लगता है कि वह एक असफल माँ है। नीतू की माँ घर पर बच्चों की देखभाल कर रही है। अमित पूरी कोशिश कर रहा है कि नीतू हिम्मत ना हारे। लेकिन दो बार पहले ही कैंसर से लड़ने के बाद, नीतू अब धीरे-धीरे टूट रही है।
"मैं हर वक़्त अस्पताल में ही रहता हूँ / यहाँ तक कि मैं अपने बच्चों के साथ भी नहीं रह सकता हूँ / नीतू की हालत बहुत ही नाज़ुक है और मैं उसे एक पल के लिए भी अकेले छोड़ने में डरता हूँ। कैंसर ने उसके जीवन को खोखला बना रखा है / वह बहुत खुश और जिंदादिल थी। मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन आएगा जब वो जीना ही नहीं चाहेगी। मुझे बहुत दुःख होता है जब वो अपनी ग़ैरहाज़री में मुझे बच्चों का ध्यान रखने के लिए बोलती है /मैं थक चुका हूँ , लेकिन मैं हार मानने के लिए तैयार नहीं हूँ। ना तो मेरे बच्चे और ना ही मैं उसके बिना अपने जीवन की कल्पना कर सकते हैं । "
नौकरियाँ बदलना मुश्किल लगता है, लेकिन नीतू को खोना अमित के लिए उससे भी मुश्किल है
पिछले 2 सालों में, अमित को काफी सारी नौकरीयाँ छोड़नी पड़ीं। पिछले 2 महीनों से अमित अस्पताल में ही होने के कारण नौकरी पर नहीं जा सका| उसे फिर से एक नई नौकरी ढूँढ़नी होगी। वह बहुत भाग्यशाली है कि उसके दोस्त और उसके रिश्तेदार इतने कठिन समय में भी उसके साथ खड़े हुए हैं|
पिछले 2 सालों में मैं 40 लाख रुपये से भी ज़्यादा खर्च कर चुका हूँ । बार बार कैंसर के लौट आने से अब तो रिश्तेदारों और दोस्तों ने भी मदद के लिए अपने हाथ खड़े कर दिए हैं/ वे अब और मदद नहीं करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वह मर जाएगी। यह उसके लिए आखिरी मौका है और मैं किसी भी कीमत पर उसे बचाना चाहता हूँ /"
आप कैसे मदद कर सकते हैं
जुड़वाँ बच्चों की मां, नीतू एक दुर्लभ किस्म के रक्त कैंसर से पीड़ित है। ये बोन मेरो ट्रांसप्लांट उसके लिए एक आखिरी मौका है। उसका पति अमित उसे बचाने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार है। बस पैसा ही उसके लिए एक अड़चन बना हुआ है| नीतू को बचाने के लिए उसे अब 13.5 लाख रुपयों की ज़रुरत है और अमित के पास अपनी पत्नी को बचाने के लिए अब कुछ भी नहीं बचा है।आपका समर्थन इस मां को फिर से अपने बच्चों के साथ रहने में मदद कर सकता है |