Help Us In Making This Short Film | Milaap
Help Us In Making This Short Film
  • Ashutosh

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    Ashutosh
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    from Film

समन्य
एक दिन घर पर रिश्तेदार आए थे तो खाना खाने के बाद  गाँव की कुछ पुरानी बातें होने लगी कि कैसे जब उस समय लाइट नहीं हुआ करती थी तो गाँव की जिंदगी केसी होती थी ,छिलके पर पढ़ाई होती थी  ,पेट्रोमैक्ष की रोशनी मे शादियाँ होती  थी। तो मेरे मन में उस   समय  के गाँव की तस्वीर बनने लगी , जहां बिजली बस एक दूर ख्वाब सा लगती होगी, और जिस दिन उस गाँव में पहली बार बिजली का बल्ब जला होगा  तो गाँव वालों को कितनी खुशी हुई होगी ...जो गाँव रात में कभी बेज़ान सा लगता होगा उस गाँव में बिजली आ जाने से वो गाँव रात मे ,अब कैसे दिखने लगा होगा ...तो मुझे लगा कि क्यों ना   मैं एक एसी ही कहानी लिखूं, एक एसे ही गाँव की जिस गाँव ने बिजली को पहली बार देखा हो ...तो कहानी बनती रही बढ़ती गई ,रिसर्च  किया तो पता चला कि एक एसा ही गाँव उत्तराखण्ड में है जहां  2017 मे लाइट आई।

तो कहानी जानने के लिए हम गाँव गए .लोगों से जाना कि बिजली लाने के लिए उन्होंने क्या कोशिशें की, जाना कि बिजली आने से पहले उनकी जिंदगी केसी थी और आजाने के बाद अब क्या बदलाव आए हैं. फिर कहानी बन जाने के बाद मुझे लगा कि क्यों ना इस कहानी को हर किसी तक पहुंचाया जाए,क्युकी शायद ये कहानी  मेरी ओर आपकी ना हो पर ये उत्तराखण्ड के हर गाँव की हे ..और उन गाँव की है जहां आज भी बिजली नहीं पहुंची है।और कहते हें कि सिनेमा समाज का आईना हे जो हर किसी तक अपनी कहानी पहुंचाने का सबसे बढिय़ा जरिया हे ...तो मेने एक सपना देख लिया कि  केसे भी मै इस कहानी को पर्दे पर दिखाऊंगा ...8 महीने तक स्क्रिप्ट पर काम करने के बाद स्क्रिप फाइनल हुई, टीम बनाई ,और प्रीप्रोडक्शन  मे जब फिल्म के बजट बनाने लगे तो पहली बार ये एहसास हुआ कि सच में फिल्म का सपना सबसे महँगा सपना होता है...पर हमने ठान लिया था कि हम कोई समझोता नहीं करेंगे ..चूंकि फिल्म रियल लोकेशन गंगी मे ही शूट होगी जो कि राजधानी से 200 km दूर हे . तो इतनी दूर 20 लोगों की टीम के साथ सिनेमा के उपकरणों का खर्च मिला कर जो  बजट हम सभी  के सामने आया उसे हम अभी भी कॉलेज मे पढ़ने वाले छात्रों के लिए बहुत बड़ी रकम है.. तो किसी ने क्राउड फंडिंग का सुझाव दिया कि क्राउड फंड का रास्ता अपना कर देखो, तो हमने सोचा की जिस गढ़वाल जिस पहाड़ और जिस उत्तराखण्ड की कहानी हम दिखा रहे हें क्यू ना उन्हीं  से मदत मांगी जाए ,ताकि जो सपना हमने देखा है उसमे सब शामिल होकर इस सपने को पूरा कर पाएं।मेरा नाम आशुतोष जोशी है  टिहरी जिले के गनगर गाँव से हूँ, अभी देहरादून में रहता हूं। पिछले कुछ सालों से नाटक मंचन में सक्रिय रहा हूँ, जिसमें में मैं दो नाटक लिख चुका हूं जिसमें से एक "उत्तराखंड आंदोलन" मसूरी carnival 2019 मे मंचन किया जाने वाला है। कुछ शॉर्ट फिल्म की पटकथा लिख चुका हूँ और कुछ शॉर्ट फिल्म बना चुका हूं । और अब मैं चाहता हूं कि मैं अपनी इस कहानि के जरिए गढ़वाल, उत्तराखंड की संस्कृति को दिखाते हुए उसके मुद्दों और अनकही कहानियों को बिना किसी समझोते के साथ पूर्ण सच्चाई के साथ पर्दे पर दिखा सकूँ । तो कृपया इस कहानी को जिसमें एक पहाड़ के गाँव में बिजली लाने का प्रयास हो रहा है इसको पर्दे पर दिखाने में हमारी सहायता करें।

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