(Everester Amit Negi need help for completing his dream.)
Contact Details of Everester Amit Negi
Name - Amit Kumar Negi
mail ID- bhupinegi101@gmail.com
Contact no - 9805974496https://youtu.be/cgPuUcEvDYo
हिमाचल प्रदेश के ट्राइबल एरिया से एवरेस्टर अमित नेगी एवरेस्ट और कंचनजंगा दोनों को फतह करने वाले पहले नागरिक।
हौसलों में दम हो तो कायनात भी मिजाज बदलती है, ताकि आप अपना लक्ष्य भेदने में कामयाब हो सकें।
ऐसा ही किन्नौर के बटसेरी गांव (Batseri Village) में किसान के घर जन्मे अमित नेगी के साथ भी ‘कंचनजंघा’ (Kangchenjunga) को फतह करने के दौरान बीता। वैसे तो ये दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी और भारत की सबसे पहली सबसे ऊंची चोटी है,लेकिन इसे फतह करना इस कारण मुश्किल होता है, क्योंकि मौसम पलों में मिजाज बदलता है।
यकीन मानिए, पहले माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) फतह कर चुके अमित नेगी (Amit Negi) के साथ कुछ ऐसा हुआ कि वो भी दंग थे। कंचनजंघा (8586 मीटर) को फतह करने निकले तो मौसम ने ऐसा साथ दिया कि लक्ष्य को मनमुताबिक भेद लिया गया।
31 मई 2021 को अमित नेगी ने कड़ी मशक्कत के बाद विश्व के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट (8848.86 मीटर) को फतह किया था। एक साल के भीतर ही अमित नेगी दूसरी बार चर्चा में आए हैं, क्योंकि शायद ऐसे कुछ ही पर्वतारोही (Mountaineer) होंगे, जिन्होंने 11 महीने के अंतराल में दुनिया की दो ऊंची चोटियों को नाप डाला हो।
हालांकि पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता,लेकिन काफी हद तक इस बात की भी संभावना है कि देश में चुनिंदा ही पर्वतारोही होंगे, जिन्होंने एक साल से भी कम वक्त में एवरेस्ट व कंचनजंघा को फतह किया हो।
7 मई 2022 को कंचनजंघा को फतह करने वाले अमित नेगी ने परिवार से कई अनुभव साझा किए हैं। इसके मुताबिक वो इस बात से हैरान थे कि मई के पहले सप्ताह में ही चोटी पर तिरंगा फहरा दिया। सामान्य तौर पर इस दौरान मौसम अनुकूल होने की संभावना मात्र ही होती है। चूंकि एक साल के भीतर एवरेस्ट के बाद कंचनजंघा को नापना था, लिहाजा ये जानते हुए भी कि मौसम खराब हो सकता है,सफर पर निकल गए थे।
अमित नेगी कहते हैं कि मैंने सपना देखा था कि एक दिन इन दोनों पर्वतों पर विजय हासिल करूंगा। एवरेस्ट की सफलता गत वर्ष मिल गई थी, अब कंचनजंघा को भी फतह करने में सफल रहा हूं।https://youtu.be/cgPuUcEvDYo
किन्नौर की सांगला वैली के खूबसूरत गांव बटसेरी से ताल्लुक रखने वाले अमित नेगी ये भी कहते हैं कि किसान परिवार से ताल्लुक़ रखने के कारण आर्थिक दिक्कतें भी सामने थी। उसके लिए धन को एकत्रित करना आसान नहीं था, पर योजना के अनुसार काम हुआ और मैं कंचनजंघा अभियान में सफल हुआ। इस अभियान के दौरान काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा।उन्होंने कहा कि बेहतरीन मौसम ने उनके सपने को साकार किया है।
एवरेस्टर अमित नेगी (Mountaineer Amit Negi) का कहना है कि मुझे पर्वतरोहण क्षेत्र का सपना देखना और इस में सफल होना आसान नहीं था। वे बीते हुए वो दिनों को याद करते हैं और कहते हैं जब मैंने ये सपना अपने घर में अपने माता पिता को बताया तो उन्हें डर था कि परिवार मना कर दे। लेकिन जब मैंने अपने परिवार के साथ अपना ये सपना साझा किया तो मेरी मां मेरे इस सपने को सुन के डर गई थी लेकिन मेरे पिता जी ने मेरी बात व इस सपने को समझा। मेरे पापा ने कहा ठीक है अगर आपका सपना यही है तो आप अपने इस सपने को साकार करें हम तरह से आपके साथ है। वही करें जो आप चाहते हैं और अपने सपने को पूरा करें। माता जी का डरना स्वभाविक था क्योंकि पर्वतरोहण को मैंने अपने जीवन का लक्ष्य बनाना और पर्वतरोहण क्षेत्र में जाना खुद में ही एक साहसिक कदम था।
मैं खुश हूं क्योंकि मेरा परिवार मेरे साथ है। लेकिन मेरी अगली चुनौती मेरे सपनों को पूरा करने के लिए धन की व्यवस्था करना है। ये धन की व्यवस्था करना एक ही अभियान के दौरान नहीं हर अभियान के लिए धन इकट्ठा करना एक चुनौती ही होगी।
पर कहते हैं अगर हिम्मत और अपने लक्ष्य के प्रति जनून हो तो हर राह रास्ता बना देती हैं। बस मैंने अपने लक्ष्य पर ध्यान रखा और हर काम को योजनाबद्ध तरीके से करता रहा तो हर राह आसान होती गई। हालांकि राह में मुश्किलें आयी पर हर मुश्किलों को पार करते हुए लक्ष्य प्राप्त हुआ।
आप सबको ये जानकर भी हैरानी होगी कि पूरे भारत में जितने भी पर्वतरोही 8000 मीटर के लिए जाते हैं। वो भारत में हर साल 7000 मीटर के पर्वत ज्यादा अभ्यास करके जाते हैं परंतु अमित नेगी ने अनावश्यकता सबसे नया किया जोकि सिर्फ एक बार 7000 मीटर के पर्वत पर अभ्यास करके एवरेस्ट और कंचनजंघा को फ़तह किया।
एवरेस्टर का खिताब तो पिछली साल हासिल किया था पर इसी साल एक नया अध्याय आने जीवन में जोड़ दिया।
पर्वतारोही और एथलीट एवरेस्टर अमित नेगी ने दुनिया की तीसरी सबसे ऊँची चोटी कंचनजंगा को फतेह कर के एक और उपलब्धि अपने नाम की है इसकी ऊंचाई 8,586 मीटर है।
पिछले साल 31 मई 2021 को एवरेस्टर अमित नेगी ने 11 साल की कड़ी मेहनत के बाद विश्व के सबसे ऊंचे पर्वत एवरेस्ट 8848.86 मीटर को फतह की थी। अब इस साल फिर से एवरेस्टर अमित नेगी को विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा 8,586 मीटर को 7 मई 2022 पर विजय प्राप्त की है। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने इस अभियान के दौरान काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। एवरेस्टर अमित नेगी ने अपना कंचनजंगा अभियान सुनाया 8,586 मीटर अच्छा मौसम उनके सपने को पूरा करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। आखिरकार 07 मई 2022 की तारीख को एवरेस्टर अमित नेगी ने अपना सपना पूरा किया और विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा को 8,586 मीटर पर फतह की ये पल उनके लिए और उनके परिवार के लिए तो एक अस्मरणिय है ही,पर ये पूरी दुनिया,भारत व हिमाचल प्रदेश के लिए भी गौरवान्वित करने वाला क्षण है । हमें गर्व महसूस हुआ की छोटे से गांव में भी ऐसे प्रतिभाशाली युवा है ।
इस अभियान की कुछ यादें आप सभी के बीच के मध्य सांझा करना चाहूंगा।
अमित नेगी नेपाल काठमांडू पंहुचने के कुछ दिनों बाद ही अपने कंचनजंघा अभियान को शुरू कर दिया था । इस अभियान को कुछ चरणों में पूरा किया गया था। इस अभियान का पहला चरण बेस कैंप था। बेस कैंप की ऊंचाई 5400मी. थी बेस कैंप से अपना सफ़र शुरू करने के बाद और उनके साथी जो कि नेपाली सेना थी कैम्प1 तक पहुँचे थे और इस कैम्प की ऊंचाई 6000मी.थी। इस कैम्प में रात बिताने के बाद , अगले दिन इस सभी ने कैम्प 2 की ओर अपना रुख़ किया और कैम्प2, 6400मीटर की ऊंचाई पर स्तिथ था। इस शिविर के बाद अगला चरण कैम्प3 था और इस कैम्प की ऊंचाई 7100 मीटर की थी । आखिरी पड़ाव कंचनजंघा शिखर था जिसकी ऊंचाई 8,586 मीटर थी।
कंचनजंघा बेस कैंप17 अप्रैल 2022 को हमें हेली के द्वारा बेस कैम्प तक पहुँचाया गया।
17 अप्रैल से 23 अप्रैल 2022 तक हमने बेस कैंप में ही आराम किया। 24 अप्रैल को कंचनजंघा बेस कैम्प में पूजा अर्चना की , मिशन कंचनजंघा अभियान के लिए इस दिन नेपाल सेना भी मेरे साथ थी।
और 16 अप्रैल को एवरेस्टर अमित नेगी कहते हैं कि मुझे भरोसा नहीं हो रहा था कि मैं इस बार कंचनजंघा अभियान के लिए अकेला जा रहा हूँ।
24 अप्रैल को जैसे ही मैं बेस कैंप से निकलने वाला था तभी नेपाल सेना के ब्रिगेडियर सर मुझे मिले और उन्होंने कहा कि हम सौभाग्यशाली है कि आप पहले भारतीय सिविलियन नेपाल कंचनजंघा अभियान का हिस्सा होंगे। ये सुन के मुझे आश्चर्य हुआ क्योंकि अभी तक मुझे लग रहा था इस अभियान में अकेला जा रहा हूँ। पर जब ब्रिगेडियर सर ने मुझे कहा कि आप भी हमारी टीम के सदस्य हैं तो मुझे बहुत गर्व महसूस हुआ क्योंकि एक आम नागरिक में पहला एवरेस्टर था जो किसी दूसरे देश की आर्मी के साथ अपने देश का झंडा फहराएगा। इतना सब सुनकर बहुत गर्व महसूस हो रहा था।
उसके बाद मैं बेस कैंप निकल गया और 24 अप्रैल को कंचनजंगा अभियान के लिए बेस कैंप मैं नेपाली सेना के साथ कंचनजंगा अभियान के लिए पूजा की और 2022 कंचनजंगा अभियान शुरू किया
उसके बाद हमारे टीम के प्रमुख त्शिरिंग जंगबू शेरपा जो पेशेवर पर्वतारोही IFMGA और NNMGA माउंटेन गाइड नेपाल सामान्य क्षेत्र NNMGA
जिन्होंने 2020 में नेपाल सरकार की ओर से नेपाल की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट की ऊंचाई को मापा था। जिस दुनिया को एवरेस्ट की नई ऊंचाई का पता चला था और एवरेस्ट की नई ऊंचाई 8848.86 मीटर हैं।
मुझे खुशी है कि त्शिरिंग जंगबू शेरपा ने मुझे अपने बैज से सम्मनित किया
ये बैज आज तक किसी भारतीय को नहीं मिला है
ये बैज उनको नेपाल गवर्नमेंट ने एवरेस्ट की नई ऊंचाई मापने के बाद उनको सम्मान के तौर पर ये बैज दिया था और वहीं बैज से उन्होंने मुझे सम्मानित किया जो की एक भारतीय युवा पर्वतारोही मात्र और मेरी देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।
मैं बहुत खुशकिस्मत हूँ की मुझे नेपाल IFMGA और NNMGA माउंटेन गाइड नेपाल के सामान्य क्षेत्र द्वारा आईएसएस बैच से सम्मनित किया गया
मैं इस बैज को पाने वाला पहला युवा एवरेस्ट हूं।
एवरेस्टर अमित नेगी ने कंचनजंगा कैंप 4 से कंचनजंगा चोटी पर चढ़ने और सीधे बेस कैंप में वापस आने का नया रिकॉर्ड बनाया
यह रिकॉर्ड पहले कभी किसी भारतीय ने नहीं बनाया। एवरेस्टर अमित नेगी ने हमारे साथ कुछ चौंकाने वाली खबरें साझा करते हुए कहते हैं कि जब वह कंचनजंगा की चोटी पर पहुंचे तो उन्होंने कभी पहलू नहीं देखा क्योंकि एवरेस्टर अमित नेगी कहते हैं कि जब वह चोटी पर पहुंचते हैं तो उन्होंने अपने ऑक्सीजन सिलेंडर को खाली देखा तो वे कहते हैं कि उस समय मैंने कहा था और लगता है कि यह मेरा आखिरी अभियान होने वाला है। उस वक़्त कंचनजंगा में सुबह का समय था मैं अपने शारपा टेक बहादुर राय को खोज रहा हूं लेकिन मेरा शारपा टेक बहादुर राय बहुत दूर है लेकिन मैं अपनी आशा नहीं खो रहा हूं और मैंने अपने शेरपा टेक बहादुर राय की प्रतीक्षा लगभग 1 घंटे की। मेरा शारपा टेक बहादुर राय एक घंटे के बाद कंचनजंगा चोटी पर पहुंच गया और फिर मैं अपना ऑक्सीजन सिलेंडर बदलता हूं और मैं उसके बाद कंचनजंघा चोटी की कुछ सुंदर तस्वीरें लेता हूं । तस्वीरें लेने के बाद मैं और नेपाल सेना इस समय वापस आ गई, सभी सदस्य कहते हैं कि हम शिविर 3 और शिविर 2 में आराम करेंगे, लेकिन मैंने अपने शेरपा टेक बहादुर राय से कहा कि मैं किसी भी शिविर में नहीं रह सकता और उसी दिन कंचनजंगा बेस सैम्प में शिविर वापस आ गया। मेरे लिए ऐसा करने का रिकॉर्ड बना की फ़तह के बाद सभी कैम्प4 या कैम्प 2 में पर्वतरोही आराम करते हैं मगर मैं और मेरे नेपाली आर्मी के सदस्य बिना रुके कंचनजंघा को फतह करके सीधे बेस कैंप पहुँच गए।
जब मैं कंचनजंगा फतेह किया तो उसके बाद में वपिस आ रहा था तो बिच में मुझे भारतीय पर्वतारोही की बॉडी दिखी वो कुछ समय के लिया बेस कैंप में हमरे साथ डिनर और लंच किया था अपना वह परिवार जेसे तो उन वह देख कर में बहुत उदास था।
(Everester Amit Negi need help for completing his dream.) Everest Amit Negi from Tribal Area of Himachal Pardesh, the first citizen to conquer both Everest and Kangchenjunga. If you have the courage, then the mood also changes, so that you can be successful in hitting your goal. The same happened with Amit Negi, who was born in the house of a farmer in Batseri village of Kinnaur, during the conquest of 'Kangchenjunga'. Although it is the third highest mountain peak in the world and the first highest peak in India, it is difficult to conquer it because the weather changes in moments. Believe me, something happened to Amit Negi, who had previously conquered Mount Everest, that he too was stunned. When we went out to conquer Kangchenjunga (8586 meters), the weather favored such that the target was hit as per the wish. On 31 May 2021, Amit Negi had scaled the world's highest mountain Mount Everest (8848.86 m) after a lot of hard work. Within a year, Amit Negi has come into the limelight for the second time, because perhaps there will be only a few mountaineers who have scaled the world's two highest peaks in a span of 11 months. Although it cannot be said with certainty, but to a large extent it is also possible that there will be only a few climbers in the country, who have scaled Everest and Kangchenjunga in less than a year. Amit Negi, who conquered Kangchenjunga on 7 May 2022, has shared many experiences with the family. According to this, he was surprised that in the first week of May, he hoisted the tricolor on the top. In general, there is only possibility of favorable weather during this period. Since Kangchenjunga had to be measured after Everest within a year, knowing that the weather could be bad, they set out on the journey. Amit Negi says that I had dreamed that one day I would conquer both these mountains. Everest was successful last year, now I have been successful in conquering Kangchenjunga too. Amit Negi, who belongs to the beautiful village of Batseri in Sangla Valley of Kinnaur, also says that financial problems were also in front of him due to his belonging to a farmer family. Raising money was not easy for him, but it worked according to plan and I was successful in the Kangchenjunga campaign. He faced a lot of difficulties during this expedition. He said that the excellent weather has made his dream come true. Everester Amit Negi says that it was not easy for me to dream of mountaineering field and succeed in it. He remembers those days and says when I told this dream to my parents in my house, they were afraid that the family would refuse. But when I shared my dream with my family, my mother was scared to hear this dream of mine, but my father understood my point and this dream. My father said, well, if this is your dream, then you should make this dream come true, we are with you in a way. Do what you want and make your dreams come true. Mother's fear was natural because making mountaineering the goal of my life and going into the mountaineering field was a bold step in itself. I am happy because my family is with me. But my next challenge is to arrange funds to fulfill my dreams. Arranging these funds will be a challenge not only during a single campaign, but to collect funds for each campaign. But it is said that if you have courage and passion towards your goal, then every path makes a way. I just kept my focus on my goal and kept doing everything in a planned manner, then every path became easier. Although there were difficulties in the way, the goal was achieved by overcoming all the difficulties. You will also be surprised to know that all the climbers all over India go for 8000 meters. He goes to India every year by practicing more mountains of 7000 meters, but Amit Negi did the newest one, which only once practiced on the mountain of 7000 meters and conquered Everest and Kangchenjunga. The title of Everest was achieved last year, but this year a new chapter was added to the coming life. Mountaineer and athlete Everester Amit Negi has achieved another feat by scaling the world's third highest peak Kangchenjunga, its height is 8,586 meters. Last year, on 31 May 2021, Everest Amit Negi had scaled the world's highest mountain Everest 8848.86 meters after 11 years of hard work. Now this year again Everester Amit Negi has conquered the world's third highest peak Kangchenjunga 8,586 meters on 7 May 2022. He had to face a lot of difficulties during this campaign to fulfill his dream. Everester Amit Negi narrates his Kangchenjunga expedition 8,586 meters Good weather is the most important thing to fulfill his dream. Finally, on the date of 07 May 2022, Everester Amit Negi fulfilled his dream and conquered the world's third highest peak Kangchenjunga at 8,586 meters, this moment is a memorable one for him and his family, but this whole world, India And it is a proud moment for Himachal Pradesh too. We felt proud that there are such talented youth even in a small village. I would like to share some memories of this campaign with all of you. Amit Negi started his Kangchenjunga campaign a few days after reaching Nepal Kathmandu. The campaign was completed in a few phases. The first phase of this campaign was based on