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ऑटो चालक के 6 साल के मासूम बच्चे को कैंसर से असहनीय पेट दर्द


"जब हालात बहुत बिगड़ जाते हैं, तो ज़ीशान अपने बिस्तर से उठ भी  नहीं पाता । वह बस दर्द में लेटा रहता है। कमजोरी के कारण वह ज्यादा बोल भी नहीं पाता फिर भी हमें उसे कुछ खाने के लिए मजबूर करना पड़ता है। कैंसर मेरे बच्चे को मार रहा है।अगर मुझे इलाज के लिए जल्द से जल्द पैसे नहीं मिले , तो मैं उसे हमेशा के लिए खो सकता हूँ /”-चांद, 6 वर्षीय ज़ीशान के पिता।
 

2 महीने पहले तक जब तक 6 साल के ज़ीशान की आँख  में सूजन नहीं आयी थी ज़ीशान और बच्चों की तरह तंदरुस्त था और  खुश रहता था

ज़ीशान को स्कूल जाकर अपने दोस्तों के साथ खलेने से ज्यादा अच्छा कुछ नहीं लगता था । उस मनहूस दिन भी वह रोज़ की तरह सोने गया था|  लेकिन बीच रात में बायीं आँख में अचानक उठे बहुत तेज दर्द के कारण वह जाग गया। उसके माता-पिता, चांद और रेशमा उसकी आँख की सूजन को देख कर भौंचक्के रह गए क्योंकि उसकी आँख बुरी तरह सूज गई थी।
  
"सही में सूजन बहुत ज़्यादा थी। शुरू में , हमे लगा कि यह किसी मच्छर या कीड़े के काटने से  हुई होगी / लेकिन ज़ीशान पूरी रात रोता रहा और दर्द के कारण सो भी नहीं पाया । अगले ही दिन हम उसे बनारस,यूपी के पास के हमारे छोटे से गाँव के क्लिनिक में ले गए , लेकिन वो लोग समझ ही नहीं पा रहे थे कि आख़िरकार उसे हुआ क्या है / हम बहुत परेशान थे /"- रेशमा, माँ।

 ज़ीशान का स्वास्थ्य बिगड़ता ही जा रहा था और खून की चांच (ब्लड टेस्ट) से पता चला कि उसके प्लेटलेट्स कम हो गए थे

 
कुछ दिनों बाद नन्हें ज़ीशान की आँख की सूजन कम होने लग गई थी, लेकिन उसके माता-पिता को लगा कि वह काफी कमजोर हो गया है। स्कूल जाना तो दूर की बात है वह अपने रोज़ के काम भी सही ढंग  से नहीं कर पा रहा था । इसलिए चांद उसे बनारस में एक डॉक्टर के पास लेकर गए, जहां खून की चांच (ब्लड टेस्ट) से पता चला कि उसके प्लेटलेट्स ज़रुरत से ज़्यादा  कम हो गए थे। उसे वहाँ तुरंत खून चढ़ाया (ब्लड ट्रांसफ्यूजन) गया।
 
"वो मुझे  या अपनी मां को पकड़े बिना बाथरूम भी नहीं जा पाता था - इतना कमजोर हो गया था मेरा बच्चा। तब हमें यकीन हो गया कि ज़रूर कोई गंभीर बात है, जो हमें समझ नहीं आ रही है और फिर हम  उसे बनारस में एक और डॉक्टर के पास लेकर गए। डॉक्टर ने हमें बताया कि अगर हम एक भी दिन और देर करते, तो हम अपने बेटे को खो सकते थे। उन्होंने हमें उसे किसी अच्छे अस्पताल में दिखाने की सलाह दी। "- चांद
 

और आखिर में पता चला कि ज़ीशान को रक्त कैंसर (ब्लड कैंसर) है, जिसे सुनकर उसके माता-पिता टूट गए

 
जब दवाएं लेने और खून चढ़ाने (ट्रांस्फ्यूजन्स) कराने के बावजूद भी ज़ीशान के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हो रहा था, तो चांद और रेशमा के पास उसको गुड़गांव ले जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था। लेकिन तब तक डॉक्टरों के चक्कर लगाने में चांद के बहुत पैसे  खर्च हो चुके थे और अब गुड़गांव जाकर एक अच्छे अस्पताल में इलाज़ कराने के लिए पैसों का जुगाड़ करने के लिए उसे लोगों के आगे हाथ जोड़ने पड़े और  उधार भी लेना पड़ा|  वह सिर्फ अपने बेटे को स्वस्थ और खुश देखना चाहता था, लेकिन भाग्य ने इन गरीब और मजबूर माता -पिता के लिए कुछ और ही सोच रखा था।  
 
"उन्होंने अस्पताल में कुछ जांचें (टेस्ट) की, और मैं नतीजों का इन्तजार करते हुए भगवान से ये प्रार्थना कर रहा था कि मेरे बच्चे के साथ कुछ भी बुरा न हो। लेकिन जब डॉक्टर्स ने बाहर आकर धीरे से वो 6 अक्षरों वाला मनहूस शब्द कैंसर बोला तो मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन ही खिसक गई| मैंने ऐसे कई किस्से सुने थे जहां  इस भयंकर बीमारी के चलते लोगों ने दम तोड़ दिया था । लेकिन मेरा बच्चा - वह इन सब के लिए अभी बहुत छोटा है। मैं अपना जीवन दे दूंगा, परन्तु इस बीमारी को उसका जीवन नहीं लेने दूंगा। "- चांद।
 

200 रुपये प्रति दिन कमाने वाला यह ऑटो चालक अपने बेटे को कैंसर से नहीं बचा सकता है | उस कैंसर से  जिसने उसके बेटे को सिर्फ और सिर्फ बिस्तर पर पड़े रहने के लिए मजबूर कर दिया है


बड़ी मुश्किल से, जैसे तैसे करके चांद ने गुड़गांव में ज़ीशान की  कम से कम एक बार कीमो हो जाए इस बात का इंतज़ाम किया , लेकिन यह उसके जीवन को बचाने के लिए काफी नहीं है, उसे और आगे के इलाज की ज़रूरत है। ज़ीशान के पास अब अपनी छोटी खिलौनों वाली कारों के साथ खेलने की भी ताकत नहीं है  लेकिन यही एकमात्र ऐसी चीज है जो उसे खुश रखती है।
 
"वह मेरी गोद में अपना सिर रखता है और बिस्तर पर अपनी छोटी खिलोनों वाली कारों को पकड़ता है । मेरा हमेशा दौड़ता भागता बच्चा जो कभी भी एक मिनट के लिए नहीं बैठता था, कैंसर के कारण अब बिस्तार से उठ भी नहीं सकता है। वह हमेशा पेट दर्द की शिकायत करता रहता है और बहुत कम खाता है। मुझे नहीं पता  कि क्या मुझे वक्त से पहले ही अपने बेटे को  मरता हुआ देख्नना होगा क्योंकि हमारे पास उसे बचाने के लिए पैसे नहीं हैं"- रेशमा, आँखों में आँसू लिए।
 

आप कैसे मदद कर सकते हैं :  

ज़ीशान को जीवित रहने के लिए लंबे समय तक कीमोथेरेपी की ज़रूरत है, लेकिन उसके पिता चांद, के पास उसके इलाज़ के लिए पैसे नहीं हैं । अब तक, उन्होंने दोस्तों और रिश्तेदारों से लगभग 2.5 लाख रुपये उधार लिए हैं, लेकिन ये पैसे ज़रुरत से काफी कम हैं ।
चांद पिछले दो महीनों से काम पर भी नहीं जा पा रहा है क्योंकि परिवार को ज़ीशान के इलाज के लिए गुड़गांव आकर रहना पड रहा है। इस परिवार के लिए हर दिन एक संघर्ष है - पैसे की कमी के कारण दवाइयाँ खरीदने के लिए इस परिवार को कभी-कभी भूखे भी रहना पड़ता है। लेकिन वे किसी भी हालत में ज़ीशान को बचाना चाहते हैं।
 
 
आप इस अनुदान अभियान के लिए नीचे दिए गए अकाउंट सेटअप में भी पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं 

Supporting Documents


 
 The specifics of this case have been verified by the medical team at the concerned hospital. For any clarification on the treatment or associated costs, contact the campaign organizer or the medical team.
 
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