A special orphanage for shelter-retarded boys and girls found in the road * Many parents in the surrounding cities, including the Kanpur metropolis, consider their retarded children to be a burden on themselves, leaving them in unattended conditions in the streets, which many times The beggars misuse them and use them in begging. It is a difficult task to get such children to shelter in institutions and if somehow the shelter is found in any institution then they lack specialist facilities and the child In college.
*सड़क में पाए गए आश्रयहीन मंदबुद्धि बालक एवं बालिकाओं के लिए एक विशेष अनाथालय* कानपुर महानगर सहित आसपास के शहरों में बहुत से मां-बाप अपने मंदबुद्धि बच्चों को अपने ऊपर बोझ समझते हुए सड़कों में लावारिस हालात हालातों में छोड़ देते हैं जिन्हें की कई बार भीख मांगने वाले उनका दुरुपयोग करते हैं और भीख मांगने में उनका उपयोग करते हैं ऐसे बच्चों को संस्थाओं में आश्रय दिला पाना एक कठिन काम होता है और अगर किसी तरह किसी संस्था में आश्रय मिल भी गया तो उसके लिए विशेषज्ञ सुविधाओं का अभाव होता है और बच्चा केवल मरने के लिए जी रहा होता उस में व्याप्त प्रतिभा को निखरने का ना ही कोई बेहतर प्रयास होते हैं ना ही संसाधन होते हैं ऐसे मंदबुद्धि बच्चों के जीवन से बचाने के लिए 5000 स्क्वायर मीटर से बड़े स्थान मैं एक भव्य एवं उनकी जरूरत एवं सुविधाओं के अनुसार उपलब्ध संसाधनों के साथ जिसकी अनुमानित लागत लगभग ₹20000000 होने का अनुमान है
विशेष अनाथालय खोलने के बारे में कानपुर महानगर ही नहीं प्रदेश स्तर पर ख्याति प्राप्त सामाजिक संस्था सुभाष चिल्ड्रन सोसायटी का विचार कर रही है जिसके लिए आप जैसे दानदाताओं सहयोगीयों एवं समाजसेवियों को आर्थिक एवं सामाजिक सहयोग की अपेक्षा रखती है जिसमें कि इस तरह के बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सके और प्रत्येक बच्चे के अनुसार उन्हें प्राकृतिक रूप से जीवन में आगे बढ़ने के लिए आधुनिक एवं जरूरत के सभी संसाधन उपलब्ध हो आपके मार्गदर्शन एवं सहयोग की अपेक्षा के साथ आपका रोटेरियन कमल कांत तिवारी एडवोकेट अध्यक्ष सुभाष चिल्ड्रन सोसायटी कानपुर
*सड़क में पाए गए आश्रयहीन मंदबुद्धि बालक एवं बालिकाओं के लिए एक विशेष अनाथालय* कानपुर महानगर सहित आसपास के शहरों में बहुत से मां-बाप अपने मंदबुद्धि बच्चों को अपने ऊपर बोझ समझते हुए सड़कों में लावारिस हालात हालातों में छोड़ देते हैं जिन्हें की कई बार भीख मांगने वाले उनका दुरुपयोग करते हैं और भीख मांगने में उनका उपयोग करते हैं ऐसे बच्चों को संस्थाओं में आश्रय दिला पाना एक कठिन काम होता है और अगर किसी तरह किसी संस्था में आश्रय मिल भी गया तो उसके लिए विशेषज्ञ सुविधाओं का अभाव होता है और बच्चा केवल मरने के लिए जी रहा होता उस में व्याप्त प्रतिभा को निखरने का ना ही कोई बेहतर प्रयास होते हैं ना ही संसाधन होते हैं ऐसे मंदबुद्धि बच्चों के जीवन से बचाने के लिए 5000 स्क्वायर मीटर से बड़े स्थान मैं एक भव्य एवं उनकी जरूरत एवं सुविधाओं के अनुसार उपलब्ध संसाधनों के साथ जिसकी अनुमानित लागत लगभग ₹20000000 होने का अनुमान है
विशेष अनाथालय खोलने के बारे में कानपुर महानगर ही नहीं प्रदेश स्तर पर ख्याति प्राप्त सामाजिक संस्था सुभाष चिल्ड्रन सोसायटी का विचार कर रही है जिसके लिए आप जैसे दानदाताओं सहयोगीयों एवं समाजसेवियों को आर्थिक एवं सामाजिक सहयोग की अपेक्षा रखती है जिसमें कि इस तरह के बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सके और प्रत्येक बच्चे के अनुसार उन्हें प्राकृतिक रूप से जीवन में आगे बढ़ने के लिए आधुनिक एवं जरूरत के सभी संसाधन उपलब्ध हो आपके मार्गदर्शन एवं सहयोग की अपेक्षा के साथ आपका रोटेरियन कमल कांत तिवारी एडवोकेट अध्यक्ष सुभाष चिल्ड्रन सोसायटी कानपुर
https://www.youtube.com/watch?v=ozMxOeMA7ik&feature=youtu.be