5th January 2022
Till date 31 dec 2021
Cases bring for treatment 12700
Outdoor treatment. 2000
With support from all donors , we complete 7 years in jan 2022 . We built new shelter to sick and accidental cows.
New ward give better life to animals.
After operation and treatment
animals being recivored and happy.
Samiti monthly expense is 5 lacs for all acitivities.They want your continue support and love
Please give your support to save these lives .
Cases bring for treatment 12700
Outdoor treatment. 2000
With support from all donors , we complete 7 years in jan 2022 . We built new shelter to sick and accidental cows.
New ward give better life to animals.
After operation and treatment
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Samiti monthly expense is 5 lacs for all acitivities.They want your continue support and love
Please give your support to save these lives .
Till date 31 dec 2021
Cases bring for treatment 12700
Outdoor treatment. 2000
With support from all donors , we complete 7 years in jan 2022 . We built new shelter to sick and accidental cows.
New ward give better life to animals.
After operation and treatment
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Samiti monthly expense is 5 lacs for all acitivities.They want your continue support and love
Please give your support to save these lives .
Cases bring for treatment 12700
Outdoor treatment. 2000
With support from all donors , we complete 7 years in jan 2022 . We built new shelter to sick and accidental cows.
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After operation and treatment
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8th July 2021
कृष्णगढ़ गौ चिकित्सा समिति की स्थापना जनवरी 2015 में किशनगढ़ शहर एवं आसपास के क्षेत्रो के 250 गांवों में दुर्घटनाग्रस्त गौवंश को सही समय
पर एवं उचित चिकित्सा सेवा उपलब्ध करने के उद्देश्य से की गई।
विगत 6 वर्षों में हेल्पलाईन नं. 9829272108 के प्रचार प्रसार हेतु 50000 से ज्यादा स्टीकर बांटे गए एवं सोशल मीडिया पर भी हेल्पलाइन नंबर का प्रचार प्रसार किया गया ताकि दुर्घटना होते ही सूचना प्राप्त हो जाये और केस को बचाने हेतु सही समय सूचना से जान बचाई जा सके।।
स्थापना से अभी तक 11650 बीमार एवं दुर्घटनाग्रस्त गौवंशो को एम्बूलेंस द्वारा गायो के अस्पताल लाकर ईलाज किया गया।।
गायो के अस्पताल में हमेशा भर्ती लगभग 200 गौवंश के ईलाज में एक
पूर्ण कालिक डॉक्टर, छः कम्पाउण्डर, दस सहायक, दो एम्बूलेंस सहायक
सहित इक्कीस कार्यकर्ताओं की टीम 24 घण्टे सेवारत है।
एम्बुलेंस द्वारा हेल्पलाइन पर सूचना मिलते ही एक चिकित्सा सहायक के साथ सूचित स्थान पर पहुँचा जाता है।। सर्वप्रथम केस का वही पर प्राथमिक उपचार किया जाता है ताकि एम्बुलेंस में ले जाते वक्त गौवंश को असुविधा एवं खतरा न हो।।
केस के गायो के अस्पताल पहुँचते ही एक टोकन संख्या दी जाती है जिसके तहत उसके पूरे इलाज का रिकॉर्ड रखा जाता है।।
बीमारी के अनुसार गौवंश को ड्रिप लगाई जाती है ।।
हड्डी टूटने के केस में प्लास्टर ऑफ पेरिस का पट्टा बाँधा जाता है और हड्डी जुड़ने के दौरान प्रत्येक केस को दैनिक आहार , ड्रेसिंग , ड्रिप , दिन में दो बार पलटी लगवाना ताकि बेडसोल न हो , शामिल रहता है।।
जिस तरह मानव शरीर मे हड्डी जुड़ने के बाद फिजियोथेरेपी दी जाती है उसी तरह गौवंश को भी विशेष मशीन पर क्रमबद्ध तरीक़े से फिजियोथेरेपी दी जाती है ताकि गौवंश आने पांवो पर पुनः खड़ा होकर सामान्य जीवन यापन कर सके।।
जिन गौवंश के घाव गंभीर हो जाते है उनको गैंगरीन न हो ओर उसका जहर शरीर के बाकी हिस्से में न फैले इसलिए शल्य चिकित्सा द्वारा उनका पाँव या क्षतिग्रस्त अंग हटा दिया जाता है ।।
प्रकृति द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत गौवंश तीन पांवो पर भी चल फिर सकती है।।
समिति द्वारा दो पांव वाले गौवंश को कृत्रिम पाँव लगाने के प्रयास भी किये जाते है।।
ऑपरेशन , इलाज , ड्रेसिंग आदि में मासिक लगभग एक लाख रुपये की दवाईयां समिति द्वारा ख़रीदी जाती हैं।
ईलाज के बाद स्वस्थ हुए गौवंश को एम्बुलेंस से राज्य की विभिन्न गौशालाओं में आगामी जीवन यापन के लिए पहुंचा दिया जाता है।।
इसके अतिरिक्त जिन गौवंश को गंभीर बीमारी या चोट नही है उनका सूचित स्थान पर इलाज कर वही छोड़ दिया जाता है ताकि गंभीर बीमारों के लिए स्थान एवं संसाधन उपलब्ध रहे।। अभी तक 1480 गौवंश का प्राथमिक उपचार भी किया गया।
एम्बूलेंस हेतु किराये की पिकअप एवं टेम्पू का प्रयोग किया जाता है जिनसे लगभग 5-6 बीमार एवं दुर्घटनाग्रस्त गौवंश प्रतिदिन किशनगढ़ एवं आस-पास के 40 किमी क्षेत्र के 250 गांवों से लाए जाते है और स्वस्थ गौवंश को राज्य की विभिन्न गौशाला में आगामी जीवन यापन के लिए भिजवाया जाता है।
इसी तरह विशेष आहार के तहत गौवंश को बन्टा, दलिया, खल, काकड़ा, सब्जी, ज्यूस
आदि दिया जाता है, ताकि दवाईयो की गर्मी सहन कर गौवंश को शीघ्र लाभ
हो सके।
जो गौमाता गली रोड पर प्रजनन कर देती है उनके गौ वत्स को कुत्तो द्वारा नुकसान न पहुँचे इसलिए सूचना मिलते ही गौमाता को एम्बुलेंस से लाकर जच्चा बच्चा वार्ड में रखा जाता है एवं समस्त प्रजनन संबधित सभी दवाइयां एवं विशेष आहार भी दिया जाता है।।
विश्व रक्तदान दिवस एवं जब अभी आवश्यकता हो तब स्वस्थ गौमाता द्वारा कमजोर गौमाता को रक्तदान किया जाता है ।।रक्तदान से पूर्व सभी की जांचे कराकर ही रक्तदान किया जाता है।।
जीव सेवा के तहत गौवंश के अलावा वन विभाग की अनुमति से वन्य प्राणी जैसे मोर, बंदर, हिरण , नीलगाय आदि का इलाज भी किया जाता है और स्वस्थ होने पर विभाग के सुपर्द कर दिया जाता है।।
कबूतर ,खरगोश, बिल्ली, कुत्तो, ऊंट , घोड़ा का इलाज भी चिकित्सा टीम द्वारा समय समय पर किया जाता है।।
इस पूरी प्रक्रिया में समिति द्वारा प्रतिमाह 4.50 से 5.00 लाख का
खर्चा वहन किया जाता है। जो कि जनसाधारण से सहयोग के रूप में एवं गौ
सेवा दानपात्रों से प्राप्त होता है।
पर एवं उचित चिकित्सा सेवा उपलब्ध करने के उद्देश्य से की गई।
विगत 6 वर्षों में हेल्पलाईन नं. 9829272108 के प्रचार प्रसार हेतु 50000 से ज्यादा स्टीकर बांटे गए एवं सोशल मीडिया पर भी हेल्पलाइन नंबर का प्रचार प्रसार किया गया ताकि दुर्घटना होते ही सूचना प्राप्त हो जाये और केस को बचाने हेतु सही समय सूचना से जान बचाई जा सके।।
स्थापना से अभी तक 11650 बीमार एवं दुर्घटनाग्रस्त गौवंशो को एम्बूलेंस द्वारा गायो के अस्पताल लाकर ईलाज किया गया।।
गायो के अस्पताल में हमेशा भर्ती लगभग 200 गौवंश के ईलाज में एक
पूर्ण कालिक डॉक्टर, छः कम्पाउण्डर, दस सहायक, दो एम्बूलेंस सहायक
सहित इक्कीस कार्यकर्ताओं की टीम 24 घण्टे सेवारत है।
एम्बुलेंस द्वारा हेल्पलाइन पर सूचना मिलते ही एक चिकित्सा सहायक के साथ सूचित स्थान पर पहुँचा जाता है।। सर्वप्रथम केस का वही पर प्राथमिक उपचार किया जाता है ताकि एम्बुलेंस में ले जाते वक्त गौवंश को असुविधा एवं खतरा न हो।।
केस के गायो के अस्पताल पहुँचते ही एक टोकन संख्या दी जाती है जिसके तहत उसके पूरे इलाज का रिकॉर्ड रखा जाता है।।
बीमारी के अनुसार गौवंश को ड्रिप लगाई जाती है ।।
हड्डी टूटने के केस में प्लास्टर ऑफ पेरिस का पट्टा बाँधा जाता है और हड्डी जुड़ने के दौरान प्रत्येक केस को दैनिक आहार , ड्रेसिंग , ड्रिप , दिन में दो बार पलटी लगवाना ताकि बेडसोल न हो , शामिल रहता है।।
जिस तरह मानव शरीर मे हड्डी जुड़ने के बाद फिजियोथेरेपी दी जाती है उसी तरह गौवंश को भी विशेष मशीन पर क्रमबद्ध तरीक़े से फिजियोथेरेपी दी जाती है ताकि गौवंश आने पांवो पर पुनः खड़ा होकर सामान्य जीवन यापन कर सके।।
जिन गौवंश के घाव गंभीर हो जाते है उनको गैंगरीन न हो ओर उसका जहर शरीर के बाकी हिस्से में न फैले इसलिए शल्य चिकित्सा द्वारा उनका पाँव या क्षतिग्रस्त अंग हटा दिया जाता है ।।
प्रकृति द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत गौवंश तीन पांवो पर भी चल फिर सकती है।।
समिति द्वारा दो पांव वाले गौवंश को कृत्रिम पाँव लगाने के प्रयास भी किये जाते है।।
ऑपरेशन , इलाज , ड्रेसिंग आदि में मासिक लगभग एक लाख रुपये की दवाईयां समिति द्वारा ख़रीदी जाती हैं।
ईलाज के बाद स्वस्थ हुए गौवंश को एम्बुलेंस से राज्य की विभिन्न गौशालाओं में आगामी जीवन यापन के लिए पहुंचा दिया जाता है।।
इसके अतिरिक्त जिन गौवंश को गंभीर बीमारी या चोट नही है उनका सूचित स्थान पर इलाज कर वही छोड़ दिया जाता है ताकि गंभीर बीमारों के लिए स्थान एवं संसाधन उपलब्ध रहे।। अभी तक 1480 गौवंश का प्राथमिक उपचार भी किया गया।
एम्बूलेंस हेतु किराये की पिकअप एवं टेम्पू का प्रयोग किया जाता है जिनसे लगभग 5-6 बीमार एवं दुर्घटनाग्रस्त गौवंश प्रतिदिन किशनगढ़ एवं आस-पास के 40 किमी क्षेत्र के 250 गांवों से लाए जाते है और स्वस्थ गौवंश को राज्य की विभिन्न गौशाला में आगामी जीवन यापन के लिए भिजवाया जाता है।
इसी तरह विशेष आहार के तहत गौवंश को बन्टा, दलिया, खल, काकड़ा, सब्जी, ज्यूस
आदि दिया जाता है, ताकि दवाईयो की गर्मी सहन कर गौवंश को शीघ्र लाभ
हो सके।
जो गौमाता गली रोड पर प्रजनन कर देती है उनके गौ वत्स को कुत्तो द्वारा नुकसान न पहुँचे इसलिए सूचना मिलते ही गौमाता को एम्बुलेंस से लाकर जच्चा बच्चा वार्ड में रखा जाता है एवं समस्त प्रजनन संबधित सभी दवाइयां एवं विशेष आहार भी दिया जाता है।।
विश्व रक्तदान दिवस एवं जब अभी आवश्यकता हो तब स्वस्थ गौमाता द्वारा कमजोर गौमाता को रक्तदान किया जाता है ।।रक्तदान से पूर्व सभी की जांचे कराकर ही रक्तदान किया जाता है।।
जीव सेवा के तहत गौवंश के अलावा वन विभाग की अनुमति से वन्य प्राणी जैसे मोर, बंदर, हिरण , नीलगाय आदि का इलाज भी किया जाता है और स्वस्थ होने पर विभाग के सुपर्द कर दिया जाता है।।
कबूतर ,खरगोश, बिल्ली, कुत्तो, ऊंट , घोड़ा का इलाज भी चिकित्सा टीम द्वारा समय समय पर किया जाता है।।
इस पूरी प्रक्रिया में समिति द्वारा प्रतिमाह 4.50 से 5.00 लाख का
खर्चा वहन किया जाता है। जो कि जनसाधारण से सहयोग के रूप में एवं गौ
सेवा दानपात्रों से प्राप्त होता है।
कृष्णगढ़ गौ चिकित्सा समिति की स्थापना जनवरी 2015 में किशनगढ़ शहर एवं आसपास के क्षेत्रो के 250 गांवों में दुर्घटनाग्रस्त गौवंश को सही समय
पर एवं उचित चिकित्सा सेवा उपलब्ध करने के उद्देश्य से की गई।
विगत 6 वर्षों में हेल्पलाईन नं. 9829272108 के प्रचार प्रसार हेतु 50000 से ज्यादा स्टीकर बांटे गए एवं सोशल मीडिया पर भी हेल्पलाइन नंबर का प्रचार प्रसार किया गया ताकि दुर्घटना होते ही सूचना प्राप्त हो जाये और केस को बचाने हेतु सही समय सूचना से जान बचाई जा सके।।
स्थापना से अभी तक 11650 बीमार एवं दुर्घटनाग्रस्त गौवंशो को एम्बूलेंस द्वारा गायो के अस्पताल लाकर ईलाज किया गया।।
गायो के अस्पताल में हमेशा भर्ती लगभग 200 गौवंश के ईलाज में एक
पूर्ण कालिक डॉक्टर, छः कम्पाउण्डर, दस सहायक, दो एम्बूलेंस सहायक
सहित इक्कीस कार्यकर्ताओं की टीम 24 घण्टे सेवारत है।
एम्बुलेंस द्वारा हेल्पलाइन पर सूचना मिलते ही एक चिकित्सा सहायक के साथ सूचित स्थान पर पहुँचा जाता है।। सर्वप्रथम केस का वही पर प्राथमिक उपचार किया जाता है ताकि एम्बुलेंस में ले जाते वक्त गौवंश को असुविधा एवं खतरा न हो।।
केस के गायो के अस्पताल पहुँचते ही एक टोकन संख्या दी जाती है जिसके तहत उसके पूरे इलाज का रिकॉर्ड रखा जाता है।।
बीमारी के अनुसार गौवंश को ड्रिप लगाई जाती है ।।
हड्डी टूटने के केस में प्लास्टर ऑफ पेरिस का पट्टा बाँधा जाता है और हड्डी जुड़ने के दौरान प्रत्येक केस को दैनिक आहार , ड्रेसिंग , ड्रिप , दिन में दो बार पलटी लगवाना ताकि बेडसोल न हो , शामिल रहता है।।
जिस तरह मानव शरीर मे हड्डी जुड़ने के बाद फिजियोथेरेपी दी जाती है उसी तरह गौवंश को भी विशेष मशीन पर क्रमबद्ध तरीक़े से फिजियोथेरेपी दी जाती है ताकि गौवंश आने पांवो पर पुनः खड़ा होकर सामान्य जीवन यापन कर सके।।
जिन गौवंश के घाव गंभीर हो जाते है उनको गैंगरीन न हो ओर उसका जहर शरीर के बाकी हिस्से में न फैले इसलिए शल्य चिकित्सा द्वारा उनका पाँव या क्षतिग्रस्त अंग हटा दिया जाता है ।।
प्रकृति द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत गौवंश तीन पांवो पर भी चल फिर सकती है।।
समिति द्वारा दो पांव वाले गौवंश को कृत्रिम पाँव लगाने के प्रयास भी किये जाते है।।
ऑपरेशन , इलाज , ड्रेसिंग आदि में मासिक लगभग एक लाख रुपये की दवाईयां समिति द्वारा ख़रीदी जाती हैं।
ईलाज के बाद स्वस्थ हुए गौवंश को एम्बुलेंस से राज्य की विभिन्न गौशालाओं में आगामी जीवन यापन के लिए पहुंचा दिया जाता है।।
इसके अतिरिक्त जिन गौवंश को गंभीर बीमारी या चोट नही है उनका सूचित स्थान पर इलाज कर वही छोड़ दिया जाता है ताकि गंभीर बीमारों के लिए स्थान एवं संसाधन उपलब्ध रहे।। अभी तक 1480 गौवंश का प्राथमिक उपचार भी किया गया।
एम्बूलेंस हेतु किराये की पिकअप एवं टेम्पू का प्रयोग किया जाता है जिनसे लगभग 5-6 बीमार एवं दुर्घटनाग्रस्त गौवंश प्रतिदिन किशनगढ़ एवं आस-पास के 40 किमी क्षेत्र के 250 गांवों से लाए जाते है और स्वस्थ गौवंश को राज्य की विभिन्न गौशाला में आगामी जीवन यापन के लिए भिजवाया जाता है।
इसी तरह विशेष आहार के तहत गौवंश को बन्टा, दलिया, खल, काकड़ा, सब्जी, ज्यूस
आदि दिया जाता है, ताकि दवाईयो की गर्मी सहन कर गौवंश को शीघ्र लाभ
हो सके।
जो गौमाता गली रोड पर प्रजनन कर देती है उनके गौ वत्स को कुत्तो द्वारा नुकसान न पहुँचे इसलिए सूचना मिलते ही गौमाता को एम्बुलेंस से लाकर जच्चा बच्चा वार्ड में रखा जाता है एवं समस्त प्रजनन संबधित सभी दवाइयां एवं विशेष आहार भी दिया जाता है।।
विश्व रक्तदान दिवस एवं जब अभी आवश्यकता हो तब स्वस्थ गौमाता द्वारा कमजोर गौमाता को रक्तदान किया जाता है ।।रक्तदान से पूर्व सभी की जांचे कराकर ही रक्तदान किया जाता है।।
जीव सेवा के तहत गौवंश के अलावा वन विभाग की अनुमति से वन्य प्राणी जैसे मोर, बंदर, हिरण , नीलगाय आदि का इलाज भी किया जाता है और स्वस्थ होने पर विभाग के सुपर्द कर दिया जाता है।।
कबूतर ,खरगोश, बिल्ली, कुत्तो, ऊंट , घोड़ा का इलाज भी चिकित्सा टीम द्वारा समय समय पर किया जाता है।।
इस पूरी प्रक्रिया में समिति द्वारा प्रतिमाह 4.50 से 5.00 लाख का
खर्चा वहन किया जाता है। जो कि जनसाधारण से सहयोग के रूप में एवं गौ
सेवा दानपात्रों से प्राप्त होता है।
पर एवं उचित चिकित्सा सेवा उपलब्ध करने के उद्देश्य से की गई।
विगत 6 वर्षों में हेल्पलाईन नं. 9829272108 के प्रचार प्रसार हेतु 50000 से ज्यादा स्टीकर बांटे गए एवं सोशल मीडिया पर भी हेल्पलाइन नंबर का प्रचार प्रसार किया गया ताकि दुर्घटना होते ही सूचना प्राप्त हो जाये और केस को बचाने हेतु सही समय सूचना से जान बचाई जा सके।।
स्थापना से अभी तक 11650 बीमार एवं दुर्घटनाग्रस्त गौवंशो को एम्बूलेंस द्वारा गायो के अस्पताल लाकर ईलाज किया गया।।
गायो के अस्पताल में हमेशा भर्ती लगभग 200 गौवंश के ईलाज में एक
पूर्ण कालिक डॉक्टर, छः कम्पाउण्डर, दस सहायक, दो एम्बूलेंस सहायक
सहित इक्कीस कार्यकर्ताओं की टीम 24 घण्टे सेवारत है।
एम्बुलेंस द्वारा हेल्पलाइन पर सूचना मिलते ही एक चिकित्सा सहायक के साथ सूचित स्थान पर पहुँचा जाता है।। सर्वप्रथम केस का वही पर प्राथमिक उपचार किया जाता है ताकि एम्बुलेंस में ले जाते वक्त गौवंश को असुविधा एवं खतरा न हो।।
केस के गायो के अस्पताल पहुँचते ही एक टोकन संख्या दी जाती है जिसके तहत उसके पूरे इलाज का रिकॉर्ड रखा जाता है।।
बीमारी के अनुसार गौवंश को ड्रिप लगाई जाती है ।।
हड्डी टूटने के केस में प्लास्टर ऑफ पेरिस का पट्टा बाँधा जाता है और हड्डी जुड़ने के दौरान प्रत्येक केस को दैनिक आहार , ड्रेसिंग , ड्रिप , दिन में दो बार पलटी लगवाना ताकि बेडसोल न हो , शामिल रहता है।।
जिस तरह मानव शरीर मे हड्डी जुड़ने के बाद फिजियोथेरेपी दी जाती है उसी तरह गौवंश को भी विशेष मशीन पर क्रमबद्ध तरीक़े से फिजियोथेरेपी दी जाती है ताकि गौवंश आने पांवो पर पुनः खड़ा होकर सामान्य जीवन यापन कर सके।।
जिन गौवंश के घाव गंभीर हो जाते है उनको गैंगरीन न हो ओर उसका जहर शरीर के बाकी हिस्से में न फैले इसलिए शल्य चिकित्सा द्वारा उनका पाँव या क्षतिग्रस्त अंग हटा दिया जाता है ।।
प्रकृति द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत गौवंश तीन पांवो पर भी चल फिर सकती है।।
समिति द्वारा दो पांव वाले गौवंश को कृत्रिम पाँव लगाने के प्रयास भी किये जाते है।।
ऑपरेशन , इलाज , ड्रेसिंग आदि में मासिक लगभग एक लाख रुपये की दवाईयां समिति द्वारा ख़रीदी जाती हैं।
ईलाज के बाद स्वस्थ हुए गौवंश को एम्बुलेंस से राज्य की विभिन्न गौशालाओं में आगामी जीवन यापन के लिए पहुंचा दिया जाता है।।
इसके अतिरिक्त जिन गौवंश को गंभीर बीमारी या चोट नही है उनका सूचित स्थान पर इलाज कर वही छोड़ दिया जाता है ताकि गंभीर बीमारों के लिए स्थान एवं संसाधन उपलब्ध रहे।। अभी तक 1480 गौवंश का प्राथमिक उपचार भी किया गया।
एम्बूलेंस हेतु किराये की पिकअप एवं टेम्पू का प्रयोग किया जाता है जिनसे लगभग 5-6 बीमार एवं दुर्घटनाग्रस्त गौवंश प्रतिदिन किशनगढ़ एवं आस-पास के 40 किमी क्षेत्र के 250 गांवों से लाए जाते है और स्वस्थ गौवंश को राज्य की विभिन्न गौशाला में आगामी जीवन यापन के लिए भिजवाया जाता है।
इसी तरह विशेष आहार के तहत गौवंश को बन्टा, दलिया, खल, काकड़ा, सब्जी, ज्यूस
आदि दिया जाता है, ताकि दवाईयो की गर्मी सहन कर गौवंश को शीघ्र लाभ
हो सके।
जो गौमाता गली रोड पर प्रजनन कर देती है उनके गौ वत्स को कुत्तो द्वारा नुकसान न पहुँचे इसलिए सूचना मिलते ही गौमाता को एम्बुलेंस से लाकर जच्चा बच्चा वार्ड में रखा जाता है एवं समस्त प्रजनन संबधित सभी दवाइयां एवं विशेष आहार भी दिया जाता है।।
विश्व रक्तदान दिवस एवं जब अभी आवश्यकता हो तब स्वस्थ गौमाता द्वारा कमजोर गौमाता को रक्तदान किया जाता है ।।रक्तदान से पूर्व सभी की जांचे कराकर ही रक्तदान किया जाता है।।
जीव सेवा के तहत गौवंश के अलावा वन विभाग की अनुमति से वन्य प्राणी जैसे मोर, बंदर, हिरण , नीलगाय आदि का इलाज भी किया जाता है और स्वस्थ होने पर विभाग के सुपर्द कर दिया जाता है।।
कबूतर ,खरगोश, बिल्ली, कुत्तो, ऊंट , घोड़ा का इलाज भी चिकित्सा टीम द्वारा समय समय पर किया जाता है।।
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सेवा दानपात्रों से प्राप्त होता है।
2nd June 2021
Dear Supporters,
Thank you for your support.
All activities have 5 lacs per month expenses .
Accidental cows pop plaster
Treatment summary as on date 1 June 2021
Total treatment 11565 cases
Total outdoor. 1681cases
Please do contribute and share the campaign link with your friends and family
https://milaap.org/fundraisers/support-cow-and-other-animal
Lockdown chara seva for hungry animals .
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Treatment summary as on date 1 June 2021
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Treatment summary as on date 1 June 2021
Total treatment 11565 cases
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